1857 का वर्ष भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक वर्ष था। हालांकि 1857 के विद्रोह को ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहली बड़ी नाराजगी के रूप में माना जाता है, लेकिन इसे ब्रिटिश शासन के पिछले सौ वर्षों में हुए बड़े और छोटे स्थानीय विद्रोहों की परिणति भी माना जाता है।
1. 1857 के विद्रोह से पहले के नागरिक विद्रोह : ये लोगों का पहला समूह था, जिन्होंने अपने पारंपरिक और प्रथागत अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था। उदाहरण: संन्यासी विद्रोह (1763-1800), मिदनापुर और धालभूम में विद्रोह (1766-74) मोआमरिया का विद्रोह (1769-99)
2. 1857 के विद्रोह से पहले आदिवासी विद्रोह : आदिवासियों का अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोश मुख्य रूप से वन अधिकार अधिनियम लागू करने, ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों का जबरन धर्म परिवर्तन के कारण था। उदाहरण: चुआर विद्रोह, खोंड विद्रोह, संथाल विद्रोह आदि।
3. 1857 के विद्रोह से पहले के किसान विद्रोह : किसानों के आक्रोश का सामान्य कारण भू-राजस्व की अस्पष्ट मांग, अधिकारियों का उत्पीड़न और बार-बार सूखा और अकाल पड़ना था। उदाहरण: बंगाल की पागल पंथी, फ़राज़ी विद्रोह, मोपिल्ला विद्रोह आदि।
4. देशी रियासतों द्वारा विद्रोह : अंग्रेज सहायक गठबंधन की कूटनीति और व्यपगत के सिद्धांत का उपयोग करके देशी रियासतों पर कब्जा कर रहे थे। उदाहरण: 1852 में झांसी।
यह कहा जा सकता है कि इन विद्रोहों-जो प्रकृति में स्थानीय थे, कुशल नेतृत्व की कमी और पिछड़ी विचारधारा से प्रभावित थे, को अंग्रेजों ने बल प्रयोग से दबा दिया था, लेकिन फिर भी उन्होंने मूल निवासियों के बीच प्रतिरोध की संस्कृति स्थापित की और अंततः 1857 के लिए रास्ता तैयार किया।