UPSC CSE Prelims 2024

UPSC CSE Mains 2022 COMPULSORY Hindi Questions

Q1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 600 शब्दों में निबंध लिखिए:   (100marks)

(a) नवीकरणीय ऊर्जा संभावनाएँ और चुनौतियाँ

(b) संचार क्रान्ति का महत्त्व

(c) खेलों का बढ़ता व्यवसायीकरण

(d) खान-पान का स्वास्थ्य पर प्रभाव


Q2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट, सही और संछिप्त भाषा में दीजिए: (12x5=60marks)

औपनिवेशिक शासन बेहिसाब आँकड़ों और जानकारियों के संग्रह पर आधारित था। अंग्रेजों ने अपने व्यावसायिक मामलों को चलाने के लिए व्यापारिक गतिविधियों का विस्तृत ब्यौरा रखा था। बढ़ते शहरों में जीवन की गति और दिशा पर नजर रखने के लिए वे नियमित रूप से सर्वेक्षण करते थे, सांख्यिकीय आँकड़े इकट्ठा करते थे और विभिन्न प्रकार की सरकारी रिपोर्ट प्रकाशित करते थे।

प्रारम्भिक वर्षों से ही औपनिवेशिक सरकार ने मानचित्र तैयार करने पर खास ध्यान दिया। सरकार का मानना था कि किसी जगह की बनावट और भूदृश्य को समझने के लिए नक्शे जरूरी होते हैं। इस जानकारी के सहारे वे इलाके पर ज्यादा बेहतर नियंत्रण कायम कर सकते थे। जब शहर बढ़ने लगे तो न केवल उनके विकास की योजना तैयार करने के लिए बल्कि व्यवसाय को विकसित करने और अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए भी नक्शे बनाये जाने लगे। शहरों के नक्शों से हमें उस स्थान पर पहाड़ियों, नदियों व हरियाली का पता चलता है। ये सारी चीजें रक्षा संबंधी उद्देश्यों के लिए योजना तैयार करने में बहुत काम आती हैं। इसके अलावा घाटों की जगह, मकानों की सघनता और गुणवत्ता तथा सड़कों की स्थिति आदि से इलाके की व्यावसायिक संभावनाओं का पता लगाने और कराधान (टैक्स व्यवस्था) की रणनीति बनाने में मदद मिलती है।

उन्नीसवीं सदी के आखिर से अंग्रेजों ने वार्षिक नगरपालिका कर वसूली के जरिए शहरों के रखरखाव के वास्ते पैसा इकट्ठा करने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। टकरावों से बचने के लिए उन्होंने कुछ जिम्मेदारियाँ निर्वाचित भारतीय प्रतिनिधियों को भी सौंपी हुई थीं। आंशिक लोक प्रतिनिधित्व से लैस नगरनिगम जैसे संस्थानों का उद्देश्य शहरों में जलापूर्ति, निकासी, सड़क निर्माण और स्वास्थ्य व्यवस्था जैसी अत्यावश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराना था। दूसरी तरफ, नगरनिगमों की गतिविधियों से नए तरह के रिकॉर्ड्स पैदा हुए जिन्हें नगरपालिका रिकॉर्ड रूम में संभालकर रखा जाने लगा।

शहरों के फैलाव पर नज़र रखने के लिए नियमित रूप से लोगों की गिनती की जाती थी। उन्नीसवीं सदी के मध्य तक विभिन्न क्षेत्रों में कई जगह स्थानीय स्तर पर जनगणना की जा चुकी थी। अखिल भारतीय जनगणना का पहला प्रयास 1872 में किया गया। इसके बाद, 1881 से दशकीय ( हर 10 साल में होने वाली) जनगणना एक नियमित व्यवस्था बन गई। भारत में शहरीकरण का अध्ययन करने के लिए जनगणना से निकले आँकड़े एक बहुमूल्य स्रोत हैं।

जब हम इन रिपोर्टों को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि हमारे पास ऐतिहासिक परिवर्तन को मापने के लिए ठोस जानकारी उपलब्ध है। बीमारियों से होने वाली मौतों की सारणियों का अन्तहीन सिलसिला, या उम्र, लिंग, जाति एवं व्यवसाय के अनुसार लोगों को गिनने की व्यवस्था से संख्याओं का एक विशाल भंडार मिलता है जिससे सटीकता का भ्रम पैदा हो जाता है। लेकिन इतिहासकारों ने पाया है कि ये आँकड़े भ्रामक भी हो सकते हैं। इन आँकड़ों का इस्तेमाल करने से पहले इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि आँकड़े किसने इकट्ठा किए हैं, और उन्हें क्यों तथा कैसे इक्कठा किया गया था। हमें यह भी मालूम होना चाहिए कि किस चीज को मापा गया था और किस चीज को नहीं मापा गया था।

(a) औपनिवेशिक शासन चलाने में आँकड़ों का क्या महत्त्व था ? 

(b) औपनिवेशिक शासकों के लिए मानचित्र क्यों महत्त्वपूर्ण थे?

(c) औपनिवेशिक अभिलेखों के माध्यम से शहरीकरण का अध्ययन किस प्रकार किया जा सकता है? 

(d) इतिहासकार आंकड़ों को सदैव अहानिकर क्यों नहीं मानते?

(e) औपनिवेशिक शासकों की करों से संबंधित नीति क्या थी?


Q3. निम्नलिखित अनुच्छेद का संक्षेपण लगभग एक तिहाई शब्दों में लिखिए। इसका शीर्षक लिखने की आवश्यकता नहीं है। संक्षेपण अपने शब्दों में ही लिखिए:   (60marks)

साधारणतया 'विकास शब्द से अभिप्राय समान विशेष की स्थिति और उसके द्वारा अनुभव किए गए परिवर्तन की प्रक्रिया से होता है। मानव इतिहास के लंबे अंतराल में समाज और उसके जैव-भौतिक पर्यावरण की निरंतर अंत क्रियाएँ समाज की स्थिति का निर्धारण करती है। मानव और पर्यावरण अंतःक्रिया की प्रक्रियाएँ इस बात पर निर्भर करती है कि समाज ने किस प्रकार की प्रौद्योगिकी विकसित की है और किस प्रकार की संस्थाओं का पोषण किया है। प्रौद्योगिकी और संस्थाओं ने मानव पर्यावरण अंतःक्रिया को गति प्रदान की है तो इससे पैदा हुए संवेग ने प्रौद्योगिकी का स्तर ऊंचा उठाया है और अनेक संस्थाओं का निर्माण और रूपांतरण किया है। अतः विकास एक बहुआयामी संकल्पना है और अर्थव्यवस्था, समाज तथा पर्यावरण में सकारात्मक व अनुत्क्रमणीय परिवर्तन का द्योतक है।

विकास की संकल्पना गतिक है और इस संकल्पना का प्रादुर्भाव 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ है। द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत विकास की संकल्पना आर्थिक वृद्धि की पर्याय थी जिसे सकल राष्ट्रीय उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति उपभोग में समय के साथ बढ़ोतरी के रूप में मापा जाता है। परंतु अधिक आर्थिक वृद्धि वाले देशों में भी असमान के कारण गरीबी का स्तर बहुत तेजी से बढ़ा। अतः 1970 के दशक में 'पुनर्वितरण के साथ वृद्धि' तथा 'वृद्धि और समानता' जैसे वाक्यांश विकास की परिभाषा में शामिल किए गए। पुनर्वितरण और समानता के प्रश्नों से निपटते हुए, यह अनुभव हुआ कि विकास की संकल्पना को मात्र आर्थिक प्रक्षेत्र तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता। इसमें लोगों के कल्याण और रहने के स्तर, जन स्वास्थ्य, शिक्षा, समान अवसर और राजनीतिक तथा नागरिक अधिकारों से संबंधित मुद्दे भी सम्मिलित है। 1980 के दशक तक विकास एक बहु-आयामी संकल्पना के रूप में उभरा जिसमें समाज के सभी लोगों के लिए वृहद् स्तर पर सामाजिक एवं भौतिक कल्याण का समावेश है।

1960 के दशक के अंत में पश्चिमी दुनिया में पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर बढ़ती जागरूकता की सामान्य वृद्धि के कारण सतत पोषणीय धारणा का विकास हुआ। इससे पर्यावरण पर औद्योगिक विकास के अनापेक्षित प्रभावों के विषय में लोगों की 5 चिंता प्रकट होती थी।

पर्यावरणीय मुद्दों पर विश्व समुदाय की बढ़ती चिंता को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 'विश्व पर्यावरण और विकास आयोग (WCED)' की स्थापना की जिसकी प्रमुख नार्वे की प्रधानमंत्री ग्रो हरलेम व्रंटलैंड थीं। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट 'अवर कॉमन फ्यूचर' (जिसे ब्रेटलैंड रिपोर्ट भी कहते हैं) 1987 में प्रस्तुत की। WCED ने सतत पोषणीय विकास की सीधी-सरल और वृहद् स्तर पर प्रयुक्त परिभाषा प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट के अनुसार सतत पोषणीय विकास का अर्थ है — "एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना।"

(445 शब्द)



Q4. निम्नलिखित गद्यांश का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिए :  (20marks)

प्रेमचंद ने कहा था कि कहानियाँ तो चारों तरफ हवा में बिखरी पड़ी हैं, सवाल उन्हें पकड़ने का है। ऐसा इसलिए है कि हर व्यक्ति और हर वस्तु का अपना-अपना जीवन होता है, बाकी सबसे अलग। उसका एक आरंभ, विकास और फिर अंत भी होता है। सबकी कोई न कोई कहानी होती है। जिस तरह एक व्यक्ति दूसरे से हू-ब-हू नहीं मिलता, वैसे ही उसकी अपनी जीवन कथा भी दूसरे से नहीं मिलती। 

ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो अपनी कथा न लिख सके। मेरी आत्मकथा मेरे जीवन की कथा है। यह केवल मेरी कथा है। और जहाँ तक मेरा जीवन दूसरों के जीवन को छूता है वहाँ तक यह दूसरों की भी कथा है। और जहाँ तक मेरा जीवन एक समय, समाज या समूह का प्रतिनिधि जीवन होता है वहाँ तक वह सबकी कथा बन जाती है। प्रत्येक व्यक्ति का जीवन कथा में बदलने के योग्य है।

अपने बारे में, बचपन से लेकर अब तक जो-जो हुआ वह सब यही तो आत्मकथा है। आत्मकथा की पहली शर्त है। आप कलम हाथ में लेते हैं और कागज पर कुछ लिखने लगते हैं। सबसे अच्छा है अपने ही जीवन से शुरू किया जाए। साफ-साफ सच सच कहना। इसके लिए भी अभ्यास जरूरी है। नैतिक साहस जरूरी है। अगर पूरी आत्मकथा न भी लिखी जाए तो संस्मरण या डायरी लिखी जा सकती है। कई दिनों वर्षों की डायरी आत्मकथा बन जाती है। 



Q5. निम्नलिखित गद्यांश का हिन्दी में अनुवाद कीजिए: (20marks)

Socrates was one of the celebrated Greek thinkers who became very influential in the development of Greek philosophy in particular and Western philosophy in general.

Socrates tried to bring radical changes in the society. But his attempts in the social field were not accepted and appreciated by the authorities. But convinced of his principles Socrates continued his efforts. The authorities considered him as a threat to their existence and as a result he was arrested and sent to prison. Later, he was given capital punishment because he was frank and outspoken. When he received the news of the death penalty he was not at all shaken.

It confused all the officials and even Socrates' own disciples because they had never seen a person accepting the news of his death penalty with a smiling face. When asked why so, he replied, "I have been preparing for death all my life. I have never done anything wrong to any man. That is why I am able to accept even death with a smiling face."

In his use of critical reasoning, by his unwavering commitment to truth and through the vivid example of his own life, Socrates set the standard for all subsequent Western philosophy.


6. 

(a) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए:  (2×5=10)

(i) नाक पर मक्खी न बैठने देना

(ii) छाती पर साँप लोटना 

(iii) बंदर घुड़की देना

(iv) गिन-गिनकर पैर रखना 

(v) मिट्टी में मिलना


(b) निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिए:  (2x5=10)

(i) कई रेलवे के कर्मचारियों ने अवकाश लिया। 

(ii) साहित्य और समाज का घोर संबंध है।

(iii) तब शायद यह काम जरूर हो जाएगा।

(iv) लड़का मिठाई लेकर भागता हुआ घर आया।

(v) हमारे यहाँ तरुण नवयुवकों की शिक्षा का अच्छा प्रबंध है।


(c) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए:  (2x5=10)

(i) स्वर्ण 

(ii) सूर्य

(iii) हिमालय

(iv) हाथी

(v) अमृत


(d) निम्नलिखित युग्मों को इस तरह से वाक्य में प्रयुक्त कीजिए कि उनका अर्थ एवं अंतर स्पष्ट हो जाए :  (2×5=10)

(i) आदि-आदी

(ii) क्रांति-क्लांति 

(iii) नियत-नियति

(iv) प्रणय-परिणय 

(v) वित्त-वृत 


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