'संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति सीमित है और इसे पूर्ण शक्ति में विस्तारित नहीं किया जा सकता है'। इस कथन के प्रकाश में बताएं कि क्या संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संसद अपनी संशोधन शक्ति का विस्तार करके संविधान के मूल ढांचे को नष्ट कर सकती है?
संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत को केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति और न्यायिक समीक्षा क…