रॉयल मेल शिप (RMS) टाइटैनिक एक समुद्री जहाज था |
इस जहाज को सबसे उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल करके सबसे अनुभवी इंजीनियरों के द्वारा डिजाइन किया गया था। इसका निर्माण हार्लेंड एंड वोल्फ शिपयार्ड नामक कंपनी द्वारा सन् 1911 में किया गया था एवं इसके मुख्य बनावटकर्ता थॉमस एंड्रूज थे|
टाइटेनिक जहाज आयरलैंड के बेलफास्ट में 31 मार्च 1909 को 3000 लोगों की टीम ने बनाना शुरू किया था। 26 महीने बाद यानी कि 31 मई 1911 को यह बनकर तैयार हुआ।
यह दुनिया का सबसे बड़ा जहाज था। यह 883 फीट यानी फुटबॉल के तीन मैदान जितना लंबा, 17 माले की बिल्डिंग जितना ऊंचा एवं 46,000 टन से ज्यादा वजनी था|
लगभग 2200 यात्री एवं क्रू मेंबर्स के साथ टाइटैनिक 10 अप्रैल, 1912 को इंग्लैंड के साउथैम्पटन बंदरगाह से न्यूयॉर्क के लिए अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुई| 4 दिन बाद यानी 14 अप्रैल की सुबह 41 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर जहाज उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक 100 फीट ऊंचे हिमखंड से टकरा गया। टक्कर काफी तेज थी, जिससे जहाज की मुख्य बॉडी की आधी लंबाई तक सुराख हो गया था। जिन वॉटरटाइट कक्ष की दीवारों को सुरक्षा कवच माना गया था, वो नष्ट हो गईं। वॉटरटाइट कमरों में पानी भर गया। पानी भरने के बाद पीछे का हिस्सा डूबने लगा। कुछ ही देर में अंदर पानी भरने के बाद यह जहाज बीच से टूट गई। 2 घंटे 40 मिनट बाद बर्फ के इस विशाल टुकड़े से टकराने के बाद जहाज पूरी तरह से डूब गया।
उस समय समुद्र के जल का तापमान -2℃ था जिसमें किसी साधारण इंसान को 20 मिनट से ज़्यादा जिन्दा रहना नामुमकिन था । जहाज में सवार लगभग 2200 लोगों में से 1500 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें सबकी जान बच सकती थी, लेकिन जहाज पर केवल 20 ही जीवनरक्षक नौका थे।
लगभग 73 साल बाद 1 सितंबर 1985 को, वैज्ञानिक जीन-लुई मिशेल और डॉ. रॉबर्ट बलार्ड ने अटलांटिक महासागर के तल में 3,786m गहराई पर जहाज के अवशेषों का पता लगाया।
टाइटेनिक जैसे विशाल जहाज के लिए कहा जाता था कि वो कभी डूब नहीं सकता था। इंजीनियरिंग के लिहाज से यह डिजाइन के आधार पर विकसित पहला जहाज था। इसे खास तरह से बनाया गया था और उसमें खास बात ये थे कि पानी के लिए खास तरह से अलग कक्ष बने थे। जिससे एक हिस्सा डूबने पर दूसरा हिस्सा बच सकता था। मगर फिर भी किस तरह से ये डूबा इस पर अभी भी स्पष्ट जानकारी आना बाकी है।
1997 में जैम्स कैमरून ने टाइटैनिक पर फिल्म बनाकर इसकी यादों को एक बार फिर ताजा कर दिया था। फिल्म में टाइटैनिक के शुरू होने से लेकर इसके डूबने तक की पूरी वास्तविक घटना को चित्रित किया गया था। टाइटैनिक के वास्तविक जीवन के इर्द-गिर्द निर्देशित की गई हॉलीवुड की इस फिल्म को दुनियाभर में खूब लोकप्रियता भी मिली।
टाइटैनिक के दुर्घटनाग्रस्त होने के दौरान कुछ गलतियां भी हुई , जिन्हें नजरअंदाज किया गया। टाइटैनिक के साथ जो कुछ भी हुआ उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ विलासिता और अति-महत्वकांक्षा का था। महत्वकांक्षा थी इतिहास बनाने की, इस बात की कि समुद्र में सबसे बड़ा जहाज पहली बार सबसे तेज गति से तैरा। यह हादसा इस बात का गवाह है कि जरूरत के बजाय विलासिता को महत्व देना कितना भारी पड़ता है और यह भी की अति महत्वकांक्षाएं आपके साथ कैसा सुलूक कर सकती हैं|